परिचय
Radhika Pandey Economist – भारत की जानी-मानी अर्थशास्त्री, नीति विश्लेषक और शिक्षाविद् डॉ. राधिका पांडे अब हमारे बीच नहीं रहीं। 28 जून 2025 को दिल्ली के ILBS अस्पताल में उनका निधन हुआ। वे केवल 46 वर्ष की थीं। उनका अचानक जाना केवल आर्थिक जगत के लिए ही नहीं, बल्कि नीति निर्माण, शिक्षा और जन संवाद के क्षेत्र के लिए भी एक गहरा आघात है।
इस ब्लॉग में हम राधिका पांडे के जीवन, उनके कार्यक्षेत्र, उपलब्धियों और उनके जाने के बाद भारतीय नीति जगत में पैदा हुई रिक्तता पर चर्चा करेंगे।
शिक्षा और करियर
डॉ. राधिका पांडे का शैक्षिक जीवन बहुत ही सशक्त रहा। उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) से स्नातक और जोधपुर स्थित JNV विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री और पीएचडी प्राप्त की। वे NIPFP (National Institute of Public Finance and Policy) में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थीं।
उनकी विशेषज्ञता मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में थी:
- मौद्रिक नीति (Monetary Policy)
- सार्वजनिक ऋण प्रबंधन (Public Debt Management)
- वित्तीय क्षेत्र सुधार
- घरेलू खपत और आर्थिक चक्र (Consumption & Business Cycle)
नीति निर्माण में योगदान
डॉ. पांडे ने भारत सरकार की कई उच्च स्तरीय समितियों में तकनीकी सलाहकार की भूमिका निभाई। विशेष रूप से:
- वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग (FSLRC)
- सार्वजनिक ऋण प्रबंधन एजेंसी (PDMA) का प्रारूप
- भारतीय रिज़र्व बैंक के ‘Inflation Targeting’ ढांचे पर प्रभावशाली शोध
उनकी नीतिगत सिफारिशें कई बार नीति निर्धारकों द्वारा स्वीकार की गईं और उन्हें नीति संवाद की एक मजबूत आवाज़ माना गया।
लेखन और मीडिया में भागीदारी
राधिका पांडे केवल एक शोधकर्ता नहीं थीं, बल्कि एक कुशल लेखक और जन संवाद की समर्थक भी थीं। वे ThePrint में नियमित कॉलम लिखती थीं, और ‘MacroSutra’ नामक वीडियो श्रृंखला के ज़रिए आम जनता को जटिल आर्थिक विषयों को सरल रूप में समझाती थीं।
उनके लेख Business Standard, Bloomberg Quint, Scroll, और Mint जैसे प्रमुख मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रकाशित होते थे।
असामयिक निधन और उसकी पृष्ठभूमि
राधिका पांडे को कुछ सप्ताह पहले टाइफाइड हुआ था, जिसकी जटिलताओं के चलते उन्हें लीवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ी। ट्रांसप्लांट के बाद भी उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और 28 जून को उन्होंने अंतिम सांस ली। उस समय भी उन्होंने MacroSutra का अंतिम एपिसोड शूट किया था, जिससे उनकी कार्य के प्रति निष्ठा झलकती है।
यादों में राधिका पांडे
डॉ. इला पटनायक (पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट, आदित्य बिड़ला ग्रुप) के अनुसार, राधिका पांडे उन कुछ लोगों में थीं जो शोध, शिक्षण, नीति और जनहित संवाद — इन सभी को समान रूप से निभा रही थीं। वे एक विचारशील लेखिका, शोधकर्ता और एक संवेदनशील इंसान थीं।
व्यक्तिगत छवि
NIPFP, ThePrint, Business Standard व Bloomberg Quint में नियमित योगदानकर्ता थीं
वे अपने पति सनी (Sanjay) और बेटे कनिष्क (Kanishk) को छोड़कर चली गईं ।
राधिका पांडे की आकस्मिक मृत्यु भारतीय आर्थिक नीति समुदाय के लिए गहरी क्षति है। उनकी नेतृत्व क्षमता, शोध और जमीनी आर्थिक संवाद ने उन्हें एक बहुआयामी अर्थशास्त्री के रूप में स्थापित किया। Google Trends में उनकी चर्चा इस बात का प्रमाण है कि सिर्फ विशेषज्ञ ही नहीं, सामान्य लोग भी उनके योगदान और विचारों की महत्ता को समझ रहे हैं।
उनके विचार, लेख और वीडियो इस बात का प्रमाण हैं कि कैसे एक विदुषी महिला ने भारत की आर्थिक संरचना को जनहित के करीब लाने की कोशिश की।
उनकी स्मृति में यह आवश्यक है कि हम उनकी सोच को आगे बढ़ाएं और नीतियों को समझने और सुधारने में उनकी तरह ही संवाद करें।